आज कल सोशल मीडिया का ऐसा दौर है जिसमें अगर किसी के पास फ़ेसबुक और ट्विटर पर अकाउंट नहीं है तो उसे दुनिया से कटा हुआ माना जाता है. फिर कोई ऐसा शख्स जो राजनीति से जुड़ा हुआ है उसका सोशल मीडिया अकाउंट ना हो तो ऐसा लगता है कि बात कहीं अधूरी सी है. इसके बावजूद भी वरिष्ट नेताओं में बहुत से ऐसे हैं जो इस नयी तकनीक से रूबरू नहीं हो सके हैं. उनमें सपा नेता मुलायम सिंह यादव, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, बसपा सुप्रीमो मायावती का नाम तो है ही, साथ ही भाजपा नेता लाल कृष्ण अडवानी का नाम भी है.
असल में भाजपा नेता का ट्विटर और फ़ेसबुक अकाउंट ना होना इसलिए भी ज़्यादा खटकता है क्यूंकि भाजपा सोशल मीडिया पर सबसे मज़बूत राष्ट्रीय पार्टी मानी जाती है. आम आदमी पार्टी ज़रूर भाजपा से बीस साबित होती है कई बार लेकिन जानकारों के मुताबी 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत भी सोशल मीडिया की ही देन है.
एक बात ये भी समझने की है कि भाजपा के पास सोशल मीडिया की टीम कई सालों से है लेकिन कभी भी लाल कृष्ण अडवानी को सोशल मीडिया पर आगे करने की कोशिश नहीं की गयी.
कुछ लोगों का तो ये भी कहना है कि सोशल मीडिया से सबसे अधिक जिस नेता को नुक़सान हुआ वो लाल कृष्ण अडवानी ही हैं. एक समय प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार रहे अडवानी की राजनीति सोशल मीडिया के हावी होते ही ख़त्म हो गयी. उनकी उमीदें उनकी पार्टी ने पहले ही लगभग ख़त्म कर दी थीं लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें उमीदवार ना बनाकर पार्टी ने साफ़ इशारा कर दिया कि वो अब बूढ़े हो गए हैं.