नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी लगातार ये कहती रही है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को वो संजीदा नहीं लेती लेकिन जब भी राहुल कोई बयान देते हैं लगभग पूरी पार्टी उस बयान पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर देती है. ये अपने आप में सोचने की बात है कि जिस राजनीतिज्ञ को आप “पप्पू” तक की उपाधि देते हैं उसके एक बयान पर भी आपको पूरी पार्टी लगानी पड़ती है.
इसका अर्थ ये है कि फ़र्क़ पड़ता है. भाजपा जानती है कि राहुल ही विपक्ष के प्रधानमंत्री उमीदवार होंगे और ऐसा होने की सूरत में पूरी भाजपा राहुल के बयान पर जवाब देने लगती है. हालाँकि इससे भाजपा को फ़ायदा कम और नुक़सान ही ज़्यादा हो रहा है क्यूंकि अब लोग इस बात को समझ रहे हैं कि राहुल के बयान वाक़ई इस तरह के हैं कि संजीदा हुआ जाए.
आज भी राहुल के अमरीका में दिए गए बयान पर भाजपा तुरंत प्रतिक्रिया करने लगी. राहुल ने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना भी की.
स्मृति इरानी, राजनाथ सिंह से लेकर सभी ने राहुल के बयान पर कुछ ना कुछ कहा. इसी बात का मज़ाक़ उड़ाते हुए ट्विटर और फ़ेसबुक पर राहुल के समर्थकों ने कहा कि अगर राहुल को भाजपा “पप्पू” ही समझती है तो 17 प्रवक्ता, 19 मंत्री क्यूँ राहुल की बात का जवाब देने को लगाए हैं.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले में ‘इंडिया ऐट 70: रिफलेक्शन ऑन द पाथ फॉरवर्ड’ प्रोग्राम में बात करते हुए कहा कि अगर उन्हें प्रधानमंत्री का पद दिया जाता है तो वो उसे स्वीकार करेंगे. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि अहिंसा का विचार आज ख़तरे में है लेकिन यही एक विचार है जो मानवता को आगे बढ़ा सकता है. राहुल ने अपनी दादी (इंदिरा गाँधी) और अपने पिता (राजीव गांधी) के त्याग को याद करते हुए कहा कि हिंसा में मैंने अपनी दादी और पिता को खोया. मुझसे बेहतर हिंसा को कौन समझेगा.उन्होंने आगे कहा, “जिन लोगों ने मेरी दादी को गोली मारी, मैं उन लोगों के साथ बैडमिंटन खेलता था. मुझे पता है कि हिंसा से क्या नुकसान हो सकता है. जब आप अपने लोगों को खोते हैं, तो आपको गहरी चोट लगती है.”