सूबे की राजधानी लखनऊ से लेकर समाजवादी पार्टी से जुड़े गढ़ के जिलों में यह चर्चा अब बेहद तेजी से जोर पकड़ रही है कि चाचा शिवपाल व भतीजे अखिलेश यादव के सम्बन्धों के बीच मिठास फिर से पैदा होने लगी है.अगर सपा के मुखबिरों व चापलूसों की नजर न लगी और सब कुछ इसी तरह से चलता रहा तो आगामी 22 नवम्बर का दिन चाचा भतीजे के सम्बन्धों की एक नई इबारत लिख सकता है.
हमारे सूत्र बताते हैं कि सब कुछ ठीक रहा है तो चाचा शिवपाल सिंह यादव व भतीजे अखिलेश यादव के बीच पिछले एक हफ्ते में उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कई बार चर्चा हुई है.
इस चर्चा में दोनो नेताओं यानी भतीजे अखिलेश व चाचा शिवपाल में यह सहमति बन गयी है कि सैफ़ई परिवार का यह क्लेश अगर जारी रहा तो आगामी विधानसभा चुनाव में भी सपा-प्रसपा, भाजपा को सूबे में सरकार बनाने से रोक नही पाएंगी.
आगामी 22 नवम्बर को अखिलेश के पिता व शिवपाल के बड़े भाई समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन है. सपा व प्रसपा से जुड़े नेताओं को यह प्रबल उम्मीद है कि अपने पिता के जन्मदिन के मौके पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने चाचा प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव के बीच चली आ रही कडुवाहट को मीठा केक खिलाकर दूर कर सकते हैं.
अभी एक हफ्ते पूर्व सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने भतीजे पूर्व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव उर्फ तेजू के पुत्र के जन्मदिन समारोह के दूसरे दिन जब मैनपुरी में गए थे तब उन्होंने मीडिया के समक्ष दिए अपने बयानों में भी यह स्पष्ट संकेत दिये थे कि वे अब अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव से बहुत दिन तक दूरी बनाकर नहीं रह सकते हैं.
अब राजनीति की मांग है कि चाचा भतीजे एक हों इटावा, एटा, मैनपुरी, कन्नौज, ओरैया, कनपुर देहात व कानपुर नगर के सपा-प्रसपा से जुड़े नेता व कार्यकर्ता भी अब यही चाहते हैं कि अखिलेश यादव व शिवपाल सिंह यादव को एक होकर ही आगामी विधानभा की तैयारी करनी चाहिए.
इन जिलों के सपा-प्रसपा से जुड़े नेताओ ने साफ साफ कहा कि चाचा-भतीजे की इस कलह ने पार्टी का बहुत नुकसान किया है.अब यदि दोनो नेताओं ने अपने मन मुटाव को दूर नही किया तो इसके दूरगामी परिणाम न तो सपा के लिये और न ही प्रसपा के लिये हितकर होंगे.