बनारस हिन्दू विश्विद्यालय में एक लड़की के साथ छेड़खानी की घटना के बाद BHU गेट पर छात्राएँ जुटी हुई हैं और प्रशासन से दोषियों पर कार्यवाही की मांग कर रही हैं.छात्राओं की मांग और प्रशासन के निष्क्रिय रवैये को देखते हुए इन छात्राओं को देश के विभिन्न हिस्सों से समर्थन प्राप्त हो रहा है. इसी को देखते हुए हमने समाज के अलग अलग तबक़ों के लोगों से इस मुद्दे पर उनकी राय ली है.
रांची के बिरसा कृषि विश्विद्यालय में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर स्वाति शबनम कहती हैं,”सभी को उन लड़कियों का साथ देना चाहिए क्योंकि अपवादों को छोड़ दें तो अधिकतर कॉलेजेस और हॉस्टल की यही कहानी है और इस हालत को तोड़ना ही होगा और BHU इसीलिए भी इम्पॉर्टेन्ट है क्योंकि इतनी पुरानी और इतनी अच्छी यूनिवर्सिटी इस क़दर जातिवादी और मर्दवादी बनी हुई है”.
सिविल इंजिनियर फ़रहान ख़ान इस बारे में अपनी राय रखते हुए कहते हैं,”विकृत समाज में बलात्कार न सिर्फ अनैतिक यौन पिपांसा का धोतक है बल्कि उससे कहीं बढ़कर अपनी बनायी दंड संहिता का हिस्सा है, लड़किओं के हॉस्टल के सामने हस्तमैथुन उसी दंड संहिता की स्थापना की कोशिश है”
चंडीगढ़ में इंटिरीअर डिज़ाइनर प्रीति कुसुम कहती हैं,”मॉलेस्टेशन पर प्रॉक्टर कहते हैं शाम को बाहर क्या कर रही थी? हॉस्टल की खिड़की पर पत्थर फेंकने, गंदी हरकतों की शिकायत पर वॉर्डन कहती हैं खिड़की खोलने की ज़रूरत क्या है? पत्थर फेंकने, गंदी हरकतें और मॉलेस्ट करने वालों पर लगाम लगाना हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं। अगला प्रश्न ये हो कि लड़कियों को पढ़ने की ज़रूरत ही क्या है इसके पहले ही लड़कियों ने अपनी ताक़त और रोष का प्रदर्शन किया है। हम सभी उनके साथ हैं।”
थिएटर आर्टिस्ट और सोशल एक्टिविस्ट सदफ़ जाफ़र कहती हैं कि लड़कियों को 6 बजे के बाद हॉस्टल से बाहर नहीं जाने दिया जाता जो कि ग़लत है.. अगर सुरक्षा की बात है तो वो देना प्रशासन का काम है. प्रशासन के रवैये को दोष देते हुए सदफ़ कहती हैं कि लड़कियों के साथ बदतमीज़ी होती है और जब वो इस बदतमीज़ी की शिकायत करती हैं तो उन्हीं को दोष देना शुरू कर दिया जाता है जो ग़लत है. उन्होंने कहा कि लड़कियों को अब दबने की ज़रुरत नहीं है, उन्हें स्टैंड लेना चाहिए और उस स्टैंड पर क़ायम रहना चाहिए..आजकल के सोशल मीडिया दौर में लड़कियों ने अपनी आवाज़ उठाना शुरू भी कर दिया है.
फ्रीलान्स जौर्नालिस्ट फ़रहाना रियाज़ कहती हैं,”‘बहुत हुआ नारी पर वार अबकी बार मोदी सरकार’ बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ ‘ का नारा देकर सत्ता में आई बीजेपी सरकार के राज में बेटियों पर शोषण और अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं..सड़क की बात तो क्या की जाए यूनिवर्सिटीज़ में भी बेटियां सुरक्षित नहीं है…अपराधियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने से उनके हौसले बुलंद हैं..सरकार को चाहिए की वो सिर्फ नारों से काम नहीं चलाये बल्कि इस तरह की घटनाओं में शामिल अपराधियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करे क्योंकि सुरक्षित रहेगी बेटी तभी तो पढ़ेगी बेटी”
फोटोग्राफर और एनिमल राईट एक्टिविस्ट मायरा कहती हैं कि इस मामले में जो भी लड़के दोषी हों उन्हें ऐसी सज़ा दी जानी चाहिए कि एक सन्देश पूरे देश में जाए.
समाजवादी पार्टी की युवा नेत्री पूजा शुक्ला कहती हैं,”मोदी जी के संसदीय क्षेत्र में जहाँ वो नवरात्र के नौ दिन के व्रत रख कर देवी जी के दर्शन करके नौटंकी करते है वही दूसरी तरफ अपने स्वभिमान के लिए संघर्ष कर रही लड़कियो के लिए दो शब्द बोलने में भी कतराते है, बेहद शर्मनाक है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देते है वही पढने वाली बेटियों का यौन उत्पीड़न करते है सरकारे और प्रशासन दोनों की चुप्पी जाहिर करती है कि वो आरजक तत्वो के साथ है।”
लखनऊ विश्विद्यालय में छात्र-राजनीति में सक्रिय ज्योति राय ने बनारस में प्रदर्शन कर रही छात्राओं का समर्थन करते हुए कहते हैं,”जी० सी० वी० सी० गो बैक ! सच न मिले तो झूट सही, हक न मिले तो लूट सही और अत्याचार बंद करो जैसे नारों से गूजता बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय आज महिलाओ की आज़ादी की मांग का प्रतीक बना हुआ है प्रदेश भर के साथियों को सड़क पर उतर कर इसका समर्थन करना चाहिए बीते दिन लखनऊ विश्वविद्यालय तिलक हॉस्टल की द्वारा छात्राओ के अपनी मांगो को लेकर विरोध पर प्रोवोस्ट और कुलपति द्वारा उनकी आवाज़ को दबाने का प्रयास किया गया और कैलाश हॉस्टल के सामने दिन में छात्र का हाथ पकड़ा गया और अभद्रता की गयी और सरकार और प्रशासन ने अनदेखा किया लेकिन उसपर भी छात्राओ ने विरोध किया था जिससे साफ़ हो गया है की छात्राए समाज में अपनी बात स्वयम कहने में सक्षम है”
यूथ कांग्रेस के नेता शैलेश शुक्ला ने इस बारे में कहा,”बीचयू कैम्पस में छात्रा के साथ हुई छेड़खानी की घटना बहुत शर्मनाक वाकया है| उससे भी निंदनीय बीचयू प्रशासन का संवेदनहीन रवैया है| जिस प्रकार उस छात्रा की शिकायत को राजनीति करने की कोशिश बताया गया, उससे ये साफ जाहिर होता है कि महिला सुरक्षा के बड़े बड़े वादे करने वाले लोग कितने सजग है| अपने हर दौरे में बीचयू को शामिल करने वाले वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री महोदय भी उन छात्राओं की शिकायत पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझे| ये इन लोगों का दोहरा चरित्र दिखाता है| बहुत हुआ नारी पर वार कहने वाले के संसदीय क्षेत्र में ही ये घटना घट रही है और वो भी इस समय अपने क्षेत्र में ही है फिर भी उनकी समस्याओं पर उन्हें कोई फर्क नहीं वो तो केवल शौचालय बनाने में ही मस्त हैं… यूपी में कानून का राज कहने वाले सरकार के मुखिया बतायें कि क्या यही है आपका कानून का राज, जहाँ छात्रायें सुरक्षित नहीं है, और आपका एंटी रोमियो दस्ता क्या कर रहा है”
आम आदमी पार्टी-लखनऊ के डालीगंज निरालानगर वार्ड के प्रभारी दुर्गेश कुमार चौधरी कहते हैं,”पितृसत्ता भ्रम में डालने वाली व्यवस्था है, भारतीय पुरुष कहता जरूर है कि महिलाओं की इज़्ज़त की जानी चाहिए पर व्यावहारिक रूप बिल्कुल इसके उलट है । जहां महिला दोयम दर्जे की और गुलामी की स्थिति में है। ऐसे में महिलाओं के साथ लगातार आपराधिक मामले बढ़ रहे हैं। राज्य की कानून व्यवस्था की लचरता स्पष्ट है क्योंकि सत्ता में पुरुष वर्ग ही है।.. बनारस की घटना अफसोसजनक है साथ ही प्रशासन का रवैया निर्लज्जता की हद पार कर गया है।”