लखनऊ विश्विद्यालय में हॉस्टल की फ़ीस और आबंटन को लेकर चल रहे आन्दोलन में छात्रों को लाठी-डंडे के इलावा गिरफ़्तारी भी देनी पड़ी है लेकिन अभी तक विश्विद्यालय प्रशासन समस्या सुलझाने में नाकाम रहा है. इस मुद्दे पर और दूसरे मुद्दों पर भारत दुनिया ने छात्र-नेता ज्योति राय से बात की.
पिछले दिनों विश्विद्यालय का माहौल हंगामे का रहा और इस हंगामे के लिए कुछ उंगलियाँ छात्र नेताओं पर भी उठ रही हैं| क्या कहेंगे आप?
हां आप सही कह रहे है पिछले दिनों और आज भी विश्वविद्यालय में हंगामे के माहौल था। लेकिन हर छात्र विश्वविद्यालय में पढ़ने आता है और वो चाहता है कि उसे उचित इंतेजाम मिले और अगर पढ़ने, खाने , रहने का बेहतर इंतेजाम नही होगा तो छात्र अपनी बात कहेगा ही अगर ये मान ले कि छात्र नेता प्रदर्शन कर रहे है तो वो बेवजह तो नही है अगर असुविधाएं होंगी तो छात्र अपनी बात तो कहेंगे ही।प्रशासन अगर छात्र नेताओं को दोषी बता रहा है तो वो छात्र क्या बेवजह लाठिया खा रहे है।
इनमें से कुछ छात्र नेता ऐसे हैं जो कई वर्ष से विश्विद्यालय में हैं और शायद अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए ही कैंपस में बने हैं..कैसे माना जाए कि ये जेन्युइन छात्र हैं ?
देखिए कोई छात्र नेता अपनी राजनीति चमका रहा है या नही वो छात्र है या नही ये अलग विषय है महत्वपूर्ण बात ये है कि अगर छात्र के सवाल जायज है और उनकी जरूरते वास्तविक है जिसको लेकर वो आंदोलनरत है तो विश्वविद्यालय प्रशासन उसके लिए जिम्मेदार है।
क्या सवाल हैं छात्रों के?अच्छे हॉस्टल के लिए अगर विश्विद्यालय प्रशासन कुछ समय मांग रहा है तो ग़लत क्या है?
2 महीने थे छुट्टियों में अगर उनकी ऐसी मंशा थी तो उन्होंने उसे क्यों नहीं ठीक कराया चलिए मान भी ले की वे ठीक कराएँगे तो 2 महीने छात्रों के रहने का क्या इंतज़ाम है उनके पास और पहले भी देखा जा चुका है मेस को लेकर उन्होंने सेंट्रल मेस का वादा कर छात्रों का खाना बंद करा दिया था और छात्रों को उसका पैसा भी वापिस नहीं दिया और खाना भी कही ऐसा तो नहीं कि पहले खाना छीना इस दफे छत छीन लें
तो इसको लेकर आप लोग आगे क्या करने वाले हैं?
देखिये विश्वविद्यालय स्तर पर आन्दोलन चल रहे है हमारी मांगे अभी मानी नहीं गयी है और जिसको लेकर समस्त साथियो के साथ रणनीति बनेगी और आन्दोलन को बड़ा स्वरुप दिया जायेगा |
आप इसके लिए किसको ज़िम्मेदार मानते हैं?
हमें तमाम आंदोलन करते हुए भी विश्वविद्यालय के प्रवक्ता का बयान जहन में रखना चाहिए सरकार ने जिस तरीके से उच्च शिक्षा के बजट में कटौती की है ये सब उसी का नतीजा है जिससे साफ हो जाता है कि असली जिम्मेदारी सरकार की है जब गंगोत्री ही दूषित की जारही हो तो गंगा के निर्मल और पवन बने रहने का तो सवाल ही नही उठता । ऐसे में गंगोत्री को दूषित होने से बचाना और साफ रखना हमारी जिम्मेदारी है।
हम्म.. तो क्या इसको लेकर आपने उत्तर प्रदेश सरकार से बात करने की कोशिश की क्यूंकि विश्विद्यालय का बजट तो सरकार की ही ज़िम्मेदारी है
जी जरूर हमने माननीय मुख्यमंत्री महोदय को पत्र लिखा तथा मुख्यमंत्री महोदय को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी कार्यालय में भी दिया है तथा माननीय राज्यपाल महोदय को भी पत्र लिख कर समय मांगा है परंतु अभी तक कोई जवाब नही मिला है
जब पिछली बार मेरी आपसे बात हुई थी तो आपने ये कहा था कि आप ऐसा प्रस्ताव रखना चाहते हैं कि VC विश्विद्यालय के अन्दर से चुना जाए. इस बहस को आगे ले जाने का इरादा है आपका ?
जी इसके सिवा और कोई रास्ता नही बचता क्योकि कुलपति की जवाबदेही नही तय है ना छात्रों के प्रति न कर्मचारियों के प्रति और न ही शिक्षकों के प्रति ये सिर्फ सरकार के हितैषी है इनका विश्वविद्यालय से कोई प्रेम नही है अगर कुलपति का चुनाव होगा तो वो विश्वविद्यालय के प्रति जवाबदेह होगा और सरकार के लिए नही विश्वविद्यालय हित मे काम करेगा।और विश्वाविद्यालय में लोकतांत्रिक भावना भी विकसित हो सकेगी। जो हमारे देश की आत्मा है
आजकल जिस तरह का माहौल हम देश के कई हिस्सों में देख रहे हैं कि दलितों और अल्पसंख्यक समाज के लोगों को टारगेट किया जा रहा है.. लखनऊ विश्विद्यालय में इसको लेकर कोई समस्या है? क्या दलित और अल्पसंख्यक छात्र-छात्राएं आराम से पढ़ाई कर पा रही हैं यहाँ LU में ?
माफ़ी चाहता हूँ लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय हमारे देश से अलग नही है| ये विश्वविद्यालय से ज्यादा समाज की समस्या है और सामाजिक ताक़ते ही इसका मुक़ाबला कर सकती हैं आम नवजवान छात्र तो इसमें बस भागीदारी कर सकता है|
आपका कहने का मतलब है कि समस्याएं हैं?
जी बिल्कुल इससे कोई इनकार नहीं कर सकता
चलिए आपने अपना क़ीमती वक़्त हमें दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद|
जी शुक्रिया आपको भी