नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र संघ के चुनाव के लिए आज वोट डाले गये। हमेशा की तरह इस बार भी मुख्य मुकाबला एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच है। अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी से जहां रजत चौधरी मैदान में है तो वहीं एनएसयूआई से रॉकी तूसीद मैदान में हैं। रॉकी का नामांकन रद्द हो गया था लेकिन हाईकोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद वह चुनाव लड़ रहे हैं। मतगणना 13 सितंबर को होगी।
छात्रसंघ चुनाव के लिए डीयू के छात्र सुबह 8.30 से 12.30 बजे के बीच वोट किया , तो वही इवनिंग कॉलेज में वोटिंग के लिए 3 बजे से 7 बजे तक का वक्त रखा गया था।
कुछ इस प्रकार हैं प्रमुख्य पार्टी के उम्मीदवार
कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन एनएसयूआई ने रॉकी तूसीद को अध्यक्ष, कुणाल शेरावत को उपाध्यक्ष, मिनाक्षी मीना को सेक्रेटरी और अविनाश यादव को जोईंट सेक्रेटरी के पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है।
वहीं भाजपा समर्थित छात्र संगठन एबीवीपी ने रजत चौधरी को अध्यक्ष, राजाथ राणा को उपाध्यक्ष, महामेधा नागर को सेक्रेटरी और उमा शंकर को जोईंट सेक्रेटरी के पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है।
इसके साथ ही जेएनयू में दो दिन पहले छात्र संघ पर जीत हासिल करने वाली वामपंथी छात्र संगठन आईसा ने भी अपने उम्मीदवार डीयूएसयू चुनाव में उतारे हैं। आईसा की ओर से पारुल चौहान को अध्यक्ष, आदित्या बैभव को उपाध्यक्ष, जयश्री को सेक्रेटरी और आकाश गुप्ता को जोईंट सेक्रेटरी के पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। ड़ुसु चुनाव में राजा चौधरी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
पिछले साल किसने जीती थी कौन सी सीट
आपको बता दूँ 2016 में एबीवीपी के अमित तंवर डूसू के प्रेसिडेंट चुने गए थे। इस चुनाव में एनएसयूआई ने निखिल यादव को 4,680 वोटों से हराया था। एबीवीपी के प्रियंका छाबड़ी वाइस प्रेसिडेंट और अंकित सिंह सेक्रेटरी के लिए चुने गए थे। एनएसयूआई कैंडिडेट मोहित गरिड़ ज्वाइंट सेक्रटरी के लिए चुने गए थे। वहीं 2015 में एबीवीपी ने सारी सीटों पर कब्जा कर लिया था।
सीवाईएसएस नहीं लड़ रही है छात्र संघ चुनाव
आम आदमी पार्टी का छात्र संगठन सीवाईएसएस ने इस बार छात्र संघ चुनाव नहीं लड़ने का फ़ैसला किया है। पिछले साल भी सीवाईएसएस ने चुनाव नहीं लड़ा था। 2014 में सीवाईएसएस ने पहली बार चुनाव लड़ा था। जिसमें उम्मीद के अनुसार संगठन को छात्रों का समर्थन नहीं मिला था।
सीवाईएसएस का कहना है कि “हम डूसू चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं। चुनाव में लिंगदोह कमेटी के नियमों का पालन नहीं किया जाता। इसमें पैसे और पावर का इस्तेमाल किया जाता है। इन सब चीजों पर रोक की जरूरत है”