पिछले कुछ सालों में भारतीय समाज में नफ़रत का बोलबाला है। कोई भी ऐसी ख़बर जो हिन्दू और मुसलमान में मतभेद पैदा करती है तुरंत ही सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती है जबकि हिन्दू मुस्लिम एकता की ख़बरों को दबाया जा रहा है। आख़िर ऐसा क्यों है?
इसके कई कारणों में से एक कारण है आजकल के कुछ छदम नेताओं की हरकतें। ये लोग अपने सियासी फ़ायदे के लिए हिन्दू-मुसलमान में दंगे कराते हैं लोगों की भावनाओं को भड़काकर वोट हासिल कर लेते हैं। एक दूसरी वजह है लोगों का देश के शानदार इतिहास से मुंह मोड़ना। अब इतिहास नहीं पढ़ा जाता बल्कि whasapp पर आने वाले मैसेज फारवर्ड किये जाते हैं जिसमें सच्चाई का कहीं कोई नाम ओ निशान नहीं होता । ये मैसेज सिवाय नफ़रत को बढ़ावा देने के लिए दिए जाते हैं और अगर आप इन पर रिप्लाई करके फतकरिये तो “ग़लती से फारवर्ड हो गया” कह कर बच जाते हैं। इतिहास को नए सिरे से लिखने की वकालत् करने वाले ये अनपढ़ दंगाई नेताओं के इशारे पर नाच रहे हैं।
एक और कारण ये भी है कि पुलिस, सरकार और एजेंसियां इन्हें रोकने में नाकाम हैं । कभी कभी तो सरकारी विभागों के सोशल मीडिया एकाउंट से इसी प्रकार की नफ़रत साझा की जाती है और बाद में जब हंगामा होता है तो पोस्ट डिलीट कर दी जाती है।
आम लोगों को ये समझने की ज़रुरत है कि नफ़रत फैलाने वालों की चपेट में ना आयें. समाज में नफ़रत कम करने के लिए सभी को काम करना होगा.