गांधीनगर: इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. एक ओर जहाँ कांग्रेस प्रदेश में अपनी सरकार की वापसी की उम्मीद लगाए बैठी है तो दूसरी ओर भाजपा कांग्रेस की बढ़ती ताक़त से आशंकित है.
भाजपा इस बार पिछले कई चुनावों की अपेक्षा कमज़ोर तो नज़र आ रही है लेकिन राज्य में भाजपा कभी भी कुछ भी करने का करिश्मा रखती है. यही वजह है कि कांग्रेस भी भाजपा पर पैनी नज़र रखे हुए है.
असल में भाजपा के लिए बड़ा झटका पाटीदार लोगों की नाराज़गी है. पार्टी अब इस कोशिश में तो है कि वो उन्हें किसी तरह मना ले लेकिन ये बिलकुल भी आसान नहीं लग रहा. दूसरी पिछड़ी जातियाँ भी पार्टी से नाराज़ ही हैं. दलित समाज के लोग अभी ऊना की घटना को नहीं भूले हैं और मुस्लिम समाज के लोग भाजपा को कम ही वोट करते हैं. इसके इलावा गुजरात में लगातार सत्ता में रहते हुए और पिछले तीन साल से केन्द्रीय सत्ता में होने के बाद “एंटी-इंकमबेंसी” भी है. गुजरात में GST को लेकर बड़ी नाराज़गी है. कुल मिला कर प्रदेश की भाजपा सरकार और केंद्र की NDA सरकार से लोग नाराज़ हैं.
इन सब चीज़ों को देखते हुए ज़रूर ये लगता है कि भाजपा के लिए ये चुनाव मुश्किल होंगे लेकिन क्षेत्रीय जानकार बताते हैं कि भाजपा के लोग चुनाव मैनेज करने में उस्ताद रहे हैं. जानकारों के मुताबिक़ अब सारी ज़िम्मेदारी उन्हीं पर आ गयी है और वो किस तरह से चुनाव मैनेज करेंगे यही भाजपा की जीत हार तय करेगा और भाजपा को गुजरात में कमज़ोर समझने की नासमझी कोई नहीं करना चाहेगा.