कुछ महीनों पहले गुरमेहर कौर नाम की छात्रा ने युद्ध को बुरा बताया था। उन्होंने एक शांति संदेश देने के लिए एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया था लेकिन कुछ छदम देशभक्तों ने उसे पाकिस्तानी, ग़द्दार और ना जाने क्या क्या कहा था। कुछ दक्षिणपंथी विचारधारा को बढ़ाने वाले न्यूज़ चैनलों ने भी उसको ख़ूब बुरा भला कहा। गुरमेहर एक जाँबाज़ सिपाही की मानिंद अपनी बात पर टिकी रहीं।
कल कुछ इसी तरह की बात विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने की। क़द्दावर नेत्री सुषमा ने कहा कि युद्ध किसी तरह का हल नहीं है। सुषमा की बात बिल्कुल ठीक है। युद्ध करने की स्थिति आये तो करना ही पड़ता है और तब सभी देशवासी सेना के साथ खड़े होंगे इसका हमें पूरा यक़ीन है लेकिन युद्ध को बढ़ावा देना समझदारी नहीं है।
बात लेकिन ये है कि जो चैनल कौर को देशद्रोही कहने की कोशिश कर रहे थे वही स्वराज के बयान की तारीफ करते नज़र आ रहे हैं। ये दोहरा मापदंड क्यों है। सुषमा ने जो कहा उसकी तारीफ़ होनी चाहिए लेकिन गुरमेहर की भी। और ये छदम देशभक्तों को समझना होगा कि देश को कट्टरता की नहीं शांति की ज़रूरत है।