लेबनान के प्रधानमंत्री साद अल हरीरी के इस्तीफ़े के बाद सियासत पूरे चरम पर है. एक ओर जहां देश में अस्थिरता का ख़तरा है वहीँ इस मुद्दे पर बहरीन, सऊदी अरब और ईरान में ज़ुबानी जंग शुरू हो गयी है. शनिवार को हरीरी ने सऊदी अरब की राजधानी से अपने इस्तीफे का एलान किया. उन्होंने इस्तीफ़ा देने की वजह अपनी ज़िन्दगी के ख़तरे को बताया. वहीँ हरीरी की बात को सिरे से ख़ारिज करते हुए हेज़्बोल्लाह के अध्यक्ष हस्सन नसरुल्लाह ने कहा कि ये हरीरी का ख़ुद का फ़ैसला नहीं बल्कि सऊदी अरब का फ़ैसला था.
शेख नसरुल्लाह ने कहा कि ये उनका इरादा नहीं था ना ही उनकी मर्ज़ी थी और इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला उनका नहीं है.उन्होंने कहा है कि ये कहना मुश्किल है कि हरीरी अब वापिस लेबनान कभी आने भी दिए जायेंगे. उन्होंने कहा कि लोगों को शांति बनाए रखनी चाहिए.
हरीरी यूँ तो दावा कर रहे हैं कि उन्हें मारने की साज़िश है लेकिन लेबनान की सेना ने इस तरह की किसी भी साज़िश से इनकार किया है. मेजर जनरल अब्बास इब्राहिम कहते हैं ऐसी कोई भी सूचना नहीं है कि लेबनान में किसी नेता की हत्या हो सकती है.
हरीरी ने अपने इस्तीफ़ा देने की वजह ईरान को भी बताया है. हरीरी के मुताबिक़ ईरान कई देशों के आंतरिक मामलों में दख़ल दे रहा है.ऐसा माना जाता है कि हरीरी सऊदी अरब के क़रीब हैं. ये बात भी किसी से छुपी नहीं है कि ईरान और सऊदी अरब दोनों ही क्षेत्र में अपना दख़ल बढाने की कोशिश में हैं.