शिमला: हिमाचल प्रदेश में 9 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य में कांग्रेस और बीजेपी जीतने के लिए तमाम कोशिशें कर रहे हैं। एक तरफ जहाँ बीजेपी राज्य में सत्ता में लौटने के लिए जमकर प्रयास कर रही है। वहीँ कांग्रेस के लिए भी ये चुनाव जीतना उनकी साख का सवाल बन गया है। दरअसल इस बार विधानसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह को भी उतारा है।
खुद सीएम वीरभद्र सिंह सोलन की अर्की सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं, जबकि उन्होंने अपने बेटे को शिमला ग्रामीण की सीट से उतारा है।राजनीतिक गलियारों में खबर ये है कि सीएम वीरभद्र सिंह ने पुत्रमोह के चलते शिमला ग्रामीण सीट विक्रमादित्य सिंह के लिए छोड़ दी और खुद उन्होंने अर्की विधानसभा क्षेत्र की ओर रुख कर लिया।
जबकि शिमला विधानसभा क्षेत्र में वीरभद्र सिंह का दबदबा ज्यादा है और माना जाता है कि यहाँ की जनता में उनकी काफी लोकप्रियता है। सीएम वीरभद्र सिंह के इस फैसले की राज्य स्तर पर कांग्रेस नेताओ ने काफी आलोचना भी की थी और चिंता भी जताई थी। क्यूंकि वीरभद्र सिंह का ये फैसला कांग्रेस के लिए बड़ी हार का कारण भी बन सकता है।
बात करते हैं विक्रमादित्य सिंह की। जोकि पहली बार चुनावी दंगल में उतरे हैं और यहाँ से पिछली बार उनके पिता विधायक चुने गए थे। वहां पर अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं। विक्रमादित्य सिंह वीरभद्र सिंह के इकलौते बेटे हैं, जोकि 28 साल के हैं और वो टीका साहिब के नाम से मशहूर हैं।
विक्रमादित्य सिंह का चुनाव मुख्यमंत्री के परिवार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। ऐसे में पूरा परिवार ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचकर वोट की अपील कर रहा है। विक्रमादित्य सिंह की जीत सुनिश्चित करने के लिए बहन अपराजिता भी मैदान में उतर आई हैं।
पिता और भाई के लिए चुनाव प्रचार करने वीरभद्र सिंह की बेटी अपराजिता सिंह डोर-टू-डोर कैंपेन कर रही है। अपराजिता के साथ उनके पति भी जनता के बीच जा रहे हैं। विक्रमादित्य सिंह चुनाव के नामांकन के बाद से ही अपराजिता बुजुर्ग से लेकर महिलाओं के बीच जा रही हैं। हर वर्ग के लोगों के घरों में जाकर वोट मांग रही हैं। सुबह 9 से रात 10 बजे तक चुनाव प्रचार अपराजिता अपनी मां प्रतिभा सिंह के साथ भी कई रैलियों में भी शामिल हो रही है।