लखनऊ: केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ लखनऊ किसान सभा ने देशव्यापी आह्वान पर बख्शी का तालाब तहसील पर धरना दिया। इस धरने में मुख्य रूप से उपज की लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलाने, पशु क्रूरता अधिनियम में परिवर्तन कर पशुओं की बाजार मे बिक्री चालू कराने, सभी किसानों की कर्ज माफी करने, भूमिहीनों को पट्टा दिलाये जाने सहित अन्य स्थानीय मांगों पर धरना दिया गया।
इस धरने को सम्बोधित करते हुए जिला किसान सभा सचिव छोटेलाल रावत ने कहा कि ‘आज किसानी घाटे का सौदा साबित हो रही है क्योंकि सरकार किसानों को मिलने वाली मूलभूत सुविधायें देने से कतरा रही है और उपज का मूल्य पूंजी आधारित बाजार तय कर रहा है जिसके कारण किसानों को लागत का मूल्य भी नही मिल पा रहा है।
अगले वक्ता के रूप में धरने का सम्बोधित करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव प्रदीप शर्मा ने कहा कि मोदी और योगी ऊपरी तौर पर किसानों के हितैशी बनते हैं लेकिन दरअसल ये पूंजीपतियों के हितैशी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को लागत का डेढ़ गुना (स्वामीनाथन आयोग की शिफारिश) को देने से मना कर दिया क्योंकि इसके लिए उनके पास धन नही है जबकि अम्बानी और आडानी जैसे पूंजीपतियों को तमाम रिआयतें देने में धन की कमी आड़े नही आ रही है।
किसान सभा के जिला उपाध्यक्ष प्रवीन सिंह ने कहा कि पशु क्रूरता कानून ने किसानों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। जहां एक ओर वे अपने पशुओं की खरीद फरोख्त नही कर पा रहे हैं वहीं दूसरी ओर बढ़ते हुए आवारा पशु उनकी फसल को खराब करके उनकी और कमर तोड़ रहे हैं।
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की जिला सचिव सीमा राना ने धरने को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज सरकार का रवैया तानाशाही पूर्ण है और वो किसानों सहित किसी भी आन्दोलन को बरदाश्त नही कर रही है और दमनकारी रूख इख्तियार कर रही है। मध्य प्रदेश में किसानों पर गोली चलाकर 6 लोगों को मार डालना सरकार के दमनकारी चरित्र को दिखाता है।
इसके अतिरिक्त इस धरने को किसान सभा के जिला अध्यक्ष राम सागर जगत, कोषाध्यक्ष छोटेलाल पाल, सह सचिव क्रान्ति कुमार सिंह, माकपा के एरिया कमेटी सचिव यू0बी0सिंह सहित सुनील, सीताराम, अरविन्द, सरला सहित तमाम नेताओं ने सम्बोधित किया।