रोहिंग्या रिफ्यूजी को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने नए आंकड़े जारी किये हैं. नए आंकड़ों के मुताबिक़ 5 लाख से अधिक रोहिंग्या रिफ्यूजी बांग्लादेश में शरण लेने आये हैं. म्यांमार के रखाइन राज्य से रोहिंग्या रिफ्यूजी जान बचा कर भाग रहे हैं. इनमें अधिकतर मुसलमान हैं जबकि कुछ हिन्दू भी हैं.
पहले जो आंकड़े जारी हुए थे वो 480000 रिफ्यूजी के आने की बात कर रहे थे लेकिन अब आंकड़ों को और बेहतर करने से ये मालूम हुआ है कि ये 5 लाख से ऊपर है. कुल आंकड़े 501,800 बताये गए हैं.
इस मामले में विश्व के कई नेताओं ने अपना पक्ष रखा है.फ़्रांस, संयुक्त राज्य अमरीका, तुर्की जैसे देशों ने म्यांमार सरकार की निंदा की है और रोहिंग्या लोगों के साथ हो रहे ज़ुल्म को क़त्ल-ए-आम का नाम दिया है. वहीँ बांग्लादेश ने रोहिंग्या लोगों के लिए बड़ी व्यवस्था की है. बंगलादेशी प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने साफ़ कहा कि अगर उनका देश 16 करोड़ लोगों को खिला सकता है तो 7-8 लाख रोहिंग्या को भी.
नोबेल शांति पुरूस्कार विजेता और म्यांमार की स्टेट काउंसलर औंग सैन सू ची से उनका नोबेल पुरूस्कार वापिस लेने की मांग भी कई बार उठ चुकी है. हालाँकि सू ची ने कहा है कि वह बिना भेदभाव के शांति चाहती हैं.
म्यानमार सरकार की इस मामले में लगातार निंदा हो रही है.रिपोर्ट्स के मुताबिक़ 3 हज़ार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.