नई दिल्ली: केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू अपने ही बयान से पलट गए. उन्होंने सोमवार को सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि रोहिंग्या लोगों को वापिस म्यांमार भेजने की बात सही नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य सरकारों से सिर्फ़ अवैध इमिग्रेंट्स को पहचानने और उनके बारे में कार्यवाही की शुरुआत की बात कही थी. अंग्रेज़ी अखबार दा हिन्दू से बात करते हुए रिजीजू ने कहा कि भारत ने हमेशा मानवाधिकार का ख़याल रखा है और हमेशा रिफ्यूजी को भारत में जगह दी है.संयुक्त राष्ट्र हाई कमिश्नर (ह्यूमन राइट्स) ज़ेद रा’आद अल हुसैन ने भारत सरकार के रोहिंग्या को वापिस म्यांमार भेजे जाने की बात पर कहा था कि भारत इस तरह लोगों को ऐसी जगह वापिस नहीं भेज सकता जहां लोगों को प्रताड़ना का खतरा है. गौरतलब है कि इस तरह की ख़बरें आने के बाद कि भारत रोहिंग्या रिफ्यूजी को वापिस भेजेगा दो रोहिंग्या रिफ्यूजी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. मुहम्मद सलीमउल्लाह और मुहम्मद शाकिर की तरफ़ से वकील प्रशांत भूषण हैं. इस बारे में उच्चतम न्यायलय 18 सितम्बर को सुनवाई करेगी.
गौरतलब है कि म्यांमार की सरकार के ऊपर लगातार ये आरोप लग रहे हैं कि उसने रोहिंग्या मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा को बढ़ावा दिया. म्यांमार की नेता औंग सन सू की के बारे में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यहाँ तक कहा कि उनका नोबेल शान्ति पुरूस्कार उनसे अब वापिस ले लेना चाहिए. म्यांमार की सरकार पर रोहिंग्या मुसलमानों का नरसंहार किये जाने के गंभीर आरोप लग रहे हैं.संयुक्त राष्ट्र ने भी इस मामले में चिंता व्यक्त की है. इस मामले को कई देश संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् में उठाने वाले हैं जिसको लेकर म्यांमार की सरकार डरी हुई है लेकिन म्यांमार सरकार को लगता है चीन या रूस उसके ख़िलाफ़ किसी भी प्रस्ताव में उसका ही पक्ष लेंगे. ऐसे में अगर भारत रोहिंग्या रिफ्यूजी को वापिस म्यांमार भेजने की बात करता है तो इससे विश्व में भारत की छवि को धक्का लगेगा.