म्यांमार के रखीने प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार का मुद्दा समूचे विश्व के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. अमरीका, तुर्की से लेकर सभी देशों ने रोहिंग्या लोगों पर हो रहे ज़ुल्म के जल्द से जल्द बंद होने के लिए म्यांमार सरकार को प्रयास करने को कहा है. रोहिंग्या लोगों की बड़ी आबादी अपनी जान बचाकर बांग्लादेश आ गयी है जहां ये लोग कॉक्स बाज़ार और तेक्नाफ में रिफ्यूजी कैंप में रह रहे हैं. बांग्लादेश के इन रिफ्यूजी कैंप में खाने-पीने से लेकर दवा, साफ़-सफ़ाई की समस्या भी है. इसको लेकर बांग्लादेश की कई देश मदद भी कर रहे हैं लेकिन ये मदद कहीं ना कहीं कम पड़ रही है.
रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर यूनाइटेड नेशन के 72वें जनरल असेंबली सेशन में बंगलादेशी प्रधानमंत्री शेख़ हसीना एक प्रस्ताव रखेंगी. ये प्रस्ताव कोफ़ी अन्नान कमीशन द्वारा दी गयी सलाहों को जल्द लागू करने से जुड़ा हुआ है. शेख़ हसीना विश्व के नेताओं से भी ये अपील करेंगी कि वो इस मुद्दे पर एहम रोल अदा करें.
इस कमीशन ने म्यांमार सरकार को कहा था कि वो रोहिंग्या मुसलमान और रखीने के बौद्ध लोगों के बीच अलगाव ख़त्म कराये. इस प्रांत में म्यांमार सरकार को चाहिए कि मानवाधिकार का उल्लंघन करने वालों पर ज़िम्मेदारी तय की जाए और “फ्रीडम ऑफ़ मूवमेंट” दिया जाए. इस कमीशन ने कई और सलाहें भी दी थीं जिसके ज़रिये इस समस्या का निदान हो सकता है.
बंगाल्देशी विदेश मंत्री एएच महमूद अली ने कहा कि प्रधानमंत्री शेख़ हसीना इस समस्या की जड़ में जायेंगी और इस पुरानी समस्या को हल करने के लिए प्रस्ताव लायेंगी.
भारत का पक्ष
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपना हलफ़नामा 18 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल करेगी. गौरतलब है कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट 18 सितम्बर को सुनवायी करने वाली है. इसके पहले कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया है और रोहिंग्या लोगों को देश से बाहर करने की बात कही है, इस ख़बर का बाद में गृह मंत्रालय ने खंडन कर दिया था और कहा था कि ऐसा कोई हलफ़नामा दायर नहीं हुआ है.