नई दिल्ली: केंद्र सरकार जहाँ लगातार रोहिंग्या मुस्लिम रिफ्यूजी को देश से निकाल कर वापिस म्यांमार भेजना चाहती है वहीँ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र की मोदी सरकार को फटकार लगायी है.
सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवम्बर तक किसी भी रोहिंग्या रिफ्यूजी को बाहर भेजने पर रोक लगा दी है. सर्वोच्च न्यायलय ने कहा है कि इसमें किसी को ज़रा सा भी शक नहीं हो सकता कि इसमें मानवीय तरीक़ा अपनाया जाए. कड़े शब्दों में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को उसकी ज़िम्मेदारी याद दिलाई. अदालत ने केंद्र सरकार को कहा है कि वो राष्ट्रीय और मानवीय वैल्यू में बैलेंस स्थापित करे.
सर्वोच्च अदालत ने कहा,”संविधान मानवीय मूल्यों पर बना है. देश की भूमिका बहु-आयामी होती है. राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक इंटरेस्ट की रक्षा होनी चाहिए लेकिन मासूम औरतों और बच्चों की अनदेखी नहीं की जा सकती.”
इसके पहले केंद्र सरकार ने एक एफिडेविट सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल किया था जिसमें रोहिंग्या रिफ्यूजी लोगों को अवैध रिफ्यूजी क़रार दिया था और कहा कि इनमें से कुछ ऐसे हैं जो ISI और ISIS के लिए काम कर रहे हैं.
रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहने वाली एक प्रजाति है. ये ज़्यादातर मुसलमान हैं. हिंसा की वजह से ये लोग वहाँ से अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं. फ़्रांस, तुर्की जैसे देशों ने म्यांमार की सरकार और वहाँ की फ़ौज पर रोहिंग्या लोगों के नरसंहार का आरोप लगाया है. नरसंहार के डर से 5 लाख से अधिक लोग बांग्लादेश में आ गए हैं जहाँ वो रिफ्यूजी कैम्पों में रह रहे हैं. बांग्लादेश के अलावा नेपाल और भारत में रोहिंग्या रिफ्यूजी आये हैं.