संजय लीला भंसाली की फ़िल्म पद्मावती का विरोध हो रहा है. इस विरोध का आधार ये है कि कुछ राजपूत संघठनों का ये मानना है कि पद्मावती फ़िल्म रानी पद्मिनी का चित्रण ग़लत ढंग से करती है. विरोध करने में सबसे आगे दक्षिणपंथी संघठन हैं. कुछ भारतीय जनता पार्टी के नेता भी फ़िल्म के विरोध में बयान देते नज़र आ रहे हैं.
इसमें लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि जिस फ़िल्म को इतिहास पर आधारित फ़िल्म बताया जा रहा है वो मालिक मुहम्मद जायसी की काल्पनिक रचना पर आधारित है. तो अगर ये फ़िल्म ही काल्पनिक रचना पर आधारित है तो इतिहास से छेड़छाड़ की तो बात ही नहीं आयी. असल में अधिकतर इतिहासकार रानी पद्मिनी के करैक्टर को काल्पनिक मानते आये हैं.
अब इस मामले में राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा है कि लोकतंत्र में सबको विरोध करने का अधिकार है लेकिन विरोध लोकतान्त्रिक ही होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर कोई क़ानून को अपने हाथ में लेता है तो उसके ख़िलाफ़ कार्यवाही की जायेगी. कटारिया ने बताया कि इस मामले में 8 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
हालाँकि कटारिया भी जानते हैं कि विरोध कई जगह लोकतान्त्रिक ढंग से नहीं हो रहा है. राजस्थान के कोटा में आज करणी सेना ने एक सिनेमा हॉल में तोड़फोड़ की है.
फ़िल्म के समर्थन में पूरा बॉलीवुड उतर आया है. फ़िल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने कहा है कि सरकार को उन लोगों का समर्थन नहीं करना चाहिए जो फ़िल्म के ख़िलाफ़ हैं. उन्होंने कहा समर्थन उनका किया जाना चाहिए जो फ़िल्म को दिखाए जाने की मांग कर रहे हैं.