पटना/नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ट नेता यशवंत सिन्हा अपनी पार्टी से ख़ुश नहीं हैं. वो लगातार पार्टी का विरोध कर रहे हैं. हालाँकि उनका विरोध पार्टी की नीतियों को लेकर है लेकिन ये आंतरिक लोकतंत्र का मामला नज़र नहीं आता. नाराज़गी साफ़ नज़र आती है. एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान यशवंत सिन्हा ने कहा कि पैराडाइज़ पेपर्स में जिन भी लोगों के नाम आये हैं सरकार को उनकी जांच करनी चाहिए और 15 दिन या एक महीने के अन्दर बताना भी चाहिए कि जिन राजनेताओं के नाम आये हैं वो वाक़ई मुजरिम हैं या नहीं.
उन्होंने अपने बेटे जयंत सिन्हा के बारे में कहा कि अगर जयंत सिन्हा के ख़िलाफ़ जांच हो रही है तो जय शाह के ख़िलाफ़ क्यूँ नहीं. उन्होंने कहा कि जांच सबकी ही होनी चाहिए.
यशवंत सिन्हा पूरी तरह से बग़ावत के मूड में उतर आये हैं. उन्होंने इसके पहले नोटबंदी और GST जैसे मुद्दों पर अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरा. उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली की नीतियों की भी आलोचना की. इसके बाद अरुण जेटली ने भी उन पर टिपण्णी की जिसके बाद दो क़द्दावर नेताओं में ये व्यक्तिगत स्तर तक मामला जाने लगा. यशवंत लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी ख़ुश नहीं हैं और उनकी भी आलोचना कर रहे हैं. सिन्हा के पक्ष में अरुण शौरी और शत्रुघन सिन्हा जैसे दिग्गज खड़े हैं. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कुछ बड़े झटके लग सकते हैं. पार्टी भी इस बात को समझ रही है इसलिए वो बाग़ी नेताओं पर चर्चा करने से बच रही है.