नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली और उन्हीं की पार्टी के वरिष्ट नेता यशवंत सिन्हा में ज़ुबानी जंग शुरू हो गयी है. भाजपा नेता अरुण जेटली ने कल यशवंत सिन्हा को उनकी योजनाओं की आलोचना करने पर मीडिया के ज़रिये जवाब दिया था. आज यशवंत सिन्हा ने अपने ऊपर हुए “व्यक्तिगत” हमले की निंदा की.
उन्होंने कहा कि मैं राजनीति में रिटायरमेंट के बाद नहीं आया. सिन्हा ने कहा कि मैंने आईएएस की पोस्ट छोड़ी इसलिए मुझे 80 साल की उम्र में नौकरी तलाश करने की ज़रुरत नहीं है.
वरिष्ट नेता ने कहा कि दिल्ली में बैठे हवाई नेता जिनका ग्रासरूट से लगाव नहीं है वो ऐसी ही बात करेंगे, constituency वाला ऐसा नहीं कहेगा.
उन्होंने कहा कि वे कहते हैं कि मैं बेकार मंत्री था, अगर ऐसा ही था तो विदेश मंत्रालय क्यूँ दिया जबकि मैं इतना बेकार था.
उन्होंने अपने कार्यकाल की उपलब्धि पर चर्चा करते हुए कहा कि बतौर वित्त मंत्री मेरे कार्यकाल में महंगाई पर चर्चा नहीं हुई क्यूँकी हमने इसको कण्ट्रोल में रखा था.
उन्होंने पनामा पेपर्स पर कार्यवाही ना करने को लेकर कहा कि पाकिस्तान में पनामा पेपर्स में शामिल होने को लेकर प्रधानमंत्री को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, NDA सरकार ने क्या किया. उन्होंने पूछा,”कितना काला धन अरुण जेटली वापिस लेकर आये हैं?”
अरुण जेटली पर कटाक्ष करते हुए सिन्हा ने कहा कि उन्होंने एक बहुत रिसर्च किया हुआ स्पीच दिया लेकिन अडवाणी जी की वो सलाह भूल गए जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत हमलों से बचने के लिए कहा था.
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ट नेता यशवंत सिन्हा ने अपनी पार्टी की सरकार की कई मुद्दों पर आलोचना की थी. पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने अंग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है कि नोटबंदी एक “निरंतर आर्थिक आपदा” साबित हुई है. उन्होंने सेवा और माल कर के लागू करने के तरीक़ों की भी तीख़ी आलोचना की है.